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ताजा अपडेट (24 अप्रैल 2025) [Latest news on Swiggy Zepto accessibility issue]
दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 अप्रैल 2025 को फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी और क्विक कॉमर्स कंपनी जेप्टो को नोटिस जारी कर उनके मोबाइल ऐप्स को दृष्टिबाधित लोगों के लिए सुलभ बनाने का निर्देश दिया है। जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने एनजीओ मिशन एक्सेसिबिलिटी की याचिका पर केंद्र सरकार और दोनों कंपनियों से 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 28 मई को होगी 12।
याचिका का मुख्य आरोप [Swiggy Zepto apps not accessible for visually impaired]
एनजीओ ने याचिका में दावा किया कि:
- स्विगी और जेप्टो के ऐप्स स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर (जैसे टॉकबैक या वॉइसओवर) के साथ असंगत हैं, जिससे दृष्टिबाधित उपयोगकर्ता उत्पाद खोज या ऑर्डर नहीं कर पाते 5।
- इंस्टामार्ट और डाइनआउट सेक्शन में वॉइस सर्च की कमी, अनलेबल्ड आइकन्स और पेमेंट ऑप्शन तक पहुंच में बाधाएं हैं 29।
- उत्पाद विवरण (जैसे एक्सपायरी डेट, सामग्री सूची) स्क्रीन रीडर द्वारा पढ़े नहीं जा सकते, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता है 4।
कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन [Violation of RPwD Act 2016 by Swiggy Zepto]
याचिका के अनुसार:
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 40 व 46 और 2017 के नियम 15 के तहत 2019 तक डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को सुलभ बनाना अनिवार्य था, पर 6 साल बाद भी दोनों कंपनियां गैर-अनुपालन की स्थिति में हैं 8।
- यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन व व्यक्तिगत गरिमा) का उल्लंघन है 410।
- मीन्स ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी मिनिस्ट्री (MeitY) ने मानकों को लागू करने में निष्क्रियता दिखाई 3।
स्विगी की प्रतिक्रिया [Swiggy response on accessibility issues]
स्विगी के प्रवक्ता ने कहा:
- फूड सेक्शन पहले से सुलभ है, पर इंस्टामार्ट में समस्याएं हैं जिन्हें मध्य मई तक ठीक करने का काम चल रहा है 7।
- वॉइस सर्च, सरलीकृत नेविगेशन और कार्ट एक्सेस जैसी सुविधाएं जोड़ी गई हैं 7।
- जेप्टो की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है 7।
याचिकाकर्ता की मांगें [Demands by Mission Accessibility NGO]
एनजीओ ने कोर्ट से निम्नलिखित निर्देश देने की मांग की है 410:
- सरकारी ऑडिट द्वारा ऐप्स की एक्सेसिबिलिटी जांच।
- स्क्रीन रीडर संगतता, वॉइस-गाइडेड कैमरा असिस्टेंट और उत्पाद विवरण की पूर्ण पहुंच सुनिश्चित करना।
- डेवलपर्स व कस्टमर सपोर्ट स्टाफ के लिए संवेदनशीलता प्रशिक्षण अनिवार्य करना।
- रिटर्न/रिफंड प्रक्रिया को दृष्टिबाधितों के लिए सुगम बनाना।
- आरपीडब्ल्यूडी एक्ट की धारा 89-90 के तहत गैर-अनुपालन करने वालों पर जुर्माना लगाना।
पृष्ठभूमि और प्रभाव [Impact of Delhi HC notice on digital accessibility]
- फरवरी 2025 में, मुख्य दिव्यांगजन आयुक्त (CCPD) ने 155 संस्थाओं (टाटा डिजिटल, रिलायंस समेत) पर डिजिटल सुलभता मानकों का पालन न करने पर जुर्माना लगाया था 7।
- जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म्स को याचिका में “सराहनीय” बताया गया, जिन्होंने इन मानकों को पूरा किया है 8।
- यह मामला भारत के डिजिटल समावेशन के लिए एक मिसाल बन सकता है 7।
निष्कर्ष
यह केस दृष्टिबाधित समुदाय को डिजिटल स्वतंत्रता दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्विगी और जेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म्स पर यह बाध्यता होगी कि वे सार्वभौमिक डिजाइन सिद्धांतों को अपनाएं ताकि कोई भी व्यक्ति तकनीकी सेवाओं से वंचित न रहे।
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